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प्रिय मित्रो,

आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ! आने वाला वर्ष आप और आपके प्रियजनों के लिए शुभ हो यही हार्दिक कामना करता हूँ।

कभी-कभी ऐसे सकारात्मक ऊर्जावान व्यक्तियों से मिलना होता है कि उनके आभामण्डल से आप भी दीप्त हो जाते हैं। ऐसे ही व्यक्ति से कल मिलना हुआ। इनका नाम है रेवरेंड ज़ैनजी निओ। ज़ैनजी निओ बौद्ध धर्म के आचार्य हैं। उनका व्यक्तित्व और कार्यक्षेत्र इतना विशाल है कि मैं इस सम्पादकीय में लिखने का प्रयास नहीं करूँगा, परन्तु आपको एक लिंक दे रहा हूँ और आग्रह करता हूँ कि आप इसे क्लिक करें और स्वयं देखें कि मैं किस व्यक्ति के बारे में बात कर रहा हूँ। लिंक है -
https://www.samuraicenter.org/

इस लिंक पर आप CEO BIO द्वारा उनके बारे में और शेष के लिंक्स द्वारा उनकी संस्था और उनकी गतिविधियों से परिचित हो जाएँगे।

आदरणीय ज़ैनजी निओ को हिन्दी राइटर्स गिल्ड (कैनेडा से संचालित साहित्यिक संस्था) के गत वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में आमन्त्रित किया गया था। इस अवसर पर उन्हें हमारी संस्था की गतिविधियों और प्रतिबद्धता का अनुमान हुआ और उन्होंने संस्था के साथ सहयोग की इच्छा व्यक्त की। हमारे वार्षिक कार्यक्रम के बारे में उनकी टिप्पणी उन्हीं के शब्दों में “मैंने अभी तक किसी भी भारतीय मंच से ऐसी हिन्दी नहीं सुनी, ऐसा सुनियोजित कार्यक्रम नहीं देखा, जो मैं यहाँ देख रहा हूँ”। उसके बाद अगली बार हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सह-संस्थापिका निदेशिका डॉ. शैलजा सक्सेना और सह-संस्थापक निदेशक श्री विजय विक्रान्त “एकल कैनेडा” https://www.ekal.org/ca के फंड रेज़िंग आयोजन में गए, जहाँ मैं नहीं जा सका था। एकल कैनेडा और हिन्दी राइटर्स गिल्ड भी सहयोगी संस्थाएँ हैं। इस आयोजन के मुख्य अतिथि रेव. ज़ैनजी निओ ही थे। वहाँ पर बातचीत करते हुए उन्होंने हिन्दी राइटर्स गिल्ड और एकल विद्यालय के साथ मिल कर कुछ सार्थक करने की इच्छा पुनः व्यक्त की।

कल टोरोंटो (कैनेडा) में रेवरेंड ज़ैनजी निओ ने कुछ संस्थाओं के निदेशकों को अपने मुख्यालय (1 King St. West, Toronto) में आमन्त्रित किया। इस मीटिंग में हिन्दी राइटर्स गिल्ड के तीनों संस्थापक कार्यकारी निदेशक – डॉ. शैलजा सक्सेना, विजय विक्रान्त और मैं, सुमन कुमार घई के अतिरिक्त यूनिवर्सिटी ऑफ़ टोरोंटो की प्रोफ़ेसर डॉ. रोमिला वर्मा (हाईड्रोलोजिस्ट), कश्मीरी विस्थापकों की संस्था से विद्याभूषण धर और एकल विद्यालय की टोरोंटो शाखा के शीर्ष संदीप कुमार उपस्थित थे। हालाँकि सभी उपस्थित व्यक्ति विभिन्न संस्थाओं में सक्रिय हैं परन्तु विशेष बात यह है कि सभी हिन्दी राइटार्स गिल्ड के भी सक्रिय सदस्य हैं। रेव. ज़ैनजी निओ, जिन्होंने इतने स्तरों, इतने आयामों में इतनी उपलब्धियाँ अर्जित की हैं, हिन्दी राइटर्स गिल्ड, एकल विद्यालय और कशमीर से निष्कासित जनों के लिए कुछ करना चाहते हैं,अविश्वसनीय प्रतीत हुआ। उन्होंने कहा कि वह अपने संपर्कों, अपनी संस्था और स्वयं को उपरोक्त संस्थाओं द्वारा लक्ष्य प्राप्ति के लिए समर्पित करना चाहते हैं। उनका यह कथन भी उतना ही अविश्वसनीय सा लग रहा था। 

रेव. ज़ैनजी का प्रत्यक्ष व्यक्तित्व किसी धार्मिक व्यक्तित्व के प्रति स्थापित अवधारणाओं से मेल नहीं खाता। उनका आध्यात्मिक पक्ष परोक्ष है परन्तु भारतीय सामाजिक मूल्यों, संस्कृति, भारतीय परंपरा, भारत की प्राचीन ऐतिहासिक निधि  बचाने, आगे बढ़ाने और पुनर्स्थापित करने के लिए उनके प्रयास प्रत्यक्ष हैं। वह बाज़ार को समझते हैं। वह किसी धार्मिक गुरु की तरह धन के मोह-माया जंजाल को त्यागने की बात नहीं करते। वह धन की शक्ति को भी समझते हैं और उसे अपने लक्ष्य प्राप्ति का साधन मानते हैं। वह यह भी जानते हैं कि किस तरह से समृद्ध व्यक्तियों को उनके सामाजिक दायित्व के प्रति सचेत किया जा सकता है। 

हमारी मीटिंग का समय दो घंटे तय था परन्तु इस मीटिंग दो घंटे की बजाय चार घंटे चली और देखते-देखते तीन कार्यक्रमों की रूप-रेखा तय हो गयी। रेवरेंड ज़ैनजी निओ को इस बात का खेद था कि हिन्दी राइटर्स गिल्ड दस वर्षों से हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में जितनी सक्रिय है, उतनी आर्थिक रूप से सशक्त नहीं है जितना कि होना चाहिए। हिन्दी राइटर्स गिल्ड की सहायता करने का संभवतः यही कारण रहा होगा।

रेवरेंड ज़ैनजी निओ ने कल की मीटिंग में कुछ प्राथमिकताएँ तय कीं। उन्होंने आरम्भिक कार्यक्रमों में होने वाले व्यय को वहन करने की इच्छा प्रकट की। उन्हें इस बात की प्रसन्नता थी कि भारत से बाहर रहते हुए उन्हें भारतीय संस्कृति, भाषा, साहित्य, समाज को समर्पित व्यक्तियों का समूह उनके साथ मिल कर काम करने के लिए तैयार है। 

मीटिंग के बाद घर लौटते हुए बार-बार ख़्याल आ रहा था कि आज के युग में देशों, धर्मों और दूरी की सीमाएँ अर्थहीन होती जा रही हैं। संयोग किस प्रकार साधनों को एक ही समय पर एक ही जगह पर इकट्ठा कर देता है। इस सकारात्मक ऊर्जा के साथ नव वर्ष आरम्भ हो रहा है। अब देखना है कि कितनी दूरी तय करते हैं और इस यात्रा में कितने सहयात्री मिलते हैं। अगर एक विचार, एक लक्ष्य की ओर समुदाय अग्रसर होने लगे तो साधन जुट जाते है और कुछ भी असम्भव नहीं रहता। आप सभी को आमन्त्रण है कि अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग दें। यह सहयोग वैचारिक और अपने-अपने क्षेत्रों में सकारात्मक सक्रियता का है। लक्ष्य वही है भारतीय सामाजिक मूल्यों, संस्कृति, भारतीय परंपरा, भारत की प्राचीन ऐतिहासिक निधि  बचाने, आगे बढ़ाने और पुनर्स्थापित करने के प्रयास।

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