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प्रिय मित्रो, 

इस बार व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण सम्पादकीय नहीं लिख पा रहा हूँ। पहली मार्च को सुबह उठकर भी नहीं लिख पाऊँगा क्योंकि प्रातः पाँच साढ़े पाँच तक यू.एस.ए. के लिए निकल रहा हूँ। अगले अंक में अवश्य मिलेंगे।

—सुमन कुमार घई

टिप्पणियाँ

राजनन्दन सिंह 2025/03/12 08:29 PM

माननीय, इस अंक के संपादकीय में शब्द नहीं है। परंतु अर्थ बहुत है। समस्त व्यस्तता के बाद भी समय पर अंक का प्रकाशन। परिवारिक जिम्मेवारियाँ एवं कर्तव्यों का सफलतापूर्वक निर्वहन तथा पाठकों की प्रतीक्षा का ध्यान। मुझे लगता है अपने आप में यह एक अद्वितीय संपादकीय है।

सीमाहरि शर्मा 2025/03/11 10:44 AM

शैलजा सक्सेना जी की कविता 'दुख शुद्ध होता है' अच्छी लगी।

मधु शर्मा 2025/03/10 03:54 PM

आदरणीय सम्पादक जी, खेद प्रकट करने की आवश्यकता नहीं क्योंकि और भी कर्त्तव्य हैं ज़माने में सम्पादकीय के सिवा। वैसे आपका लैपटॉप इतने वर्षों के बाद यह छोटा सा अवकाश मिल जाने पर प्रसन्न अवश्य हो गया होगा। आशा है आपकी अमेरिका की यात्रा सुखद रही होगी।

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