प्रिय मित्रो,
इस नव वर्ष की पूर्व संध्या पर मुझे रह-रह कर अपनी एक बहुत पुरानी कविता याद आ रही थी। मेरे विचार में यह कविता इस अवसर पर उपयुक्त संदेश को व्यक्त करती है। आशा है कि आप भी इसे स्वीकार करेंगे:
आओ जीवन गीत लिखें
नव वर्ष की मंगल बेला पर
नव मंगल जीवन गीत लिखें
बीते पतझड़ के पत्तों को
शुभ्र हिम ने अवतान दिया
मन में चिर संचित पीड़ा का
नव पृष्ठ पलट, अवसान किया
हृदय के उज्जवल पन्ने पर,
नवेद करूँ, आओ प्रीत लिखें
छूटे जो मार्ग में साथी
करें उनसे समावायन
बीते पल स्मृति में बाँध
करें पुनः मैत्री आवाहन
समय ने फिर दिया है समय
उठा लेखनी, आओ मीत लिखें
करता हूँ स्वीकार कि जीवन
था कभी विषम, कभी कठिन
पर साथ साथ चल काटी राहें
न हुए कभी हम, दिग्भ्रमित
आसन्न है — अब तो लक्ष्य
चल दो डग, आओ जीत लिखें
आज फिर मन में गूँज उठी,
हो गई पुनः मनवीणा झंकृत
अंतर्मन गाए सद्भाव रागिनी
है देह पुलकित, भाव तरंगित
कर स्नेह संगीत सुधा रसपान
नव मंगल जीवन गीत लिखें
टिप्पणियाँ
अरुण कुमार प्रसाद 2024/01/06 06:22 PM
महोदय, नमस्कार सत्य ही नव वर्ष के अवसर पर यह कविता प्रेरित तो करती है आगे बढ़ाने को। "चल दो डग, आओ जीत लिखें" सारगर्भित कथन। नववर्ष 2024के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। प्रार्थना है ईश्वर हमेशा कृपा बनए रखें। सादर सहित
महेश रौतेला 2024/01/02 11:11 AM
नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। सुन्दर कविता मे नयी आशा और अनुभूतियां।
Anima Das 2024/01/01 03:07 PM
अत्यंत सुंदर एवं प्रेरणाप्रद सृजन सर
राजनन्दन सिंह 2024/01/01 07:17 AM
माननीय संपादक जी, सादर नववर्ष 2024 मंगलमय हो। नववर्ष की शुरुआत साहित्यकुञ्ज के संपादकीय से और संपादकीय में आपकी कविता 'आओ जीवन गीत लिखें।' यह कविता एक संकल्प है। ऐसा संकल्प जो प्रत्येक चेतना के लिए हर बार नई हो जानेवाली। पंक्तियाँ जीवन मंत्र, और भाव अभी तक सुप्त मानवों को जगाती हुई जागरण, पथ प्रदर्शन एवं हितैषी के। विशेषकर हौसला देती एवं लक्ष्य पर पहुँचाती हुई पंक्ति - "आसन्न है — अब तो लक्ष्य चल दो डग, आओ जीत लिखें" सफलता का हीं मंत्र है। हम पाठकों /लेखकों पर आपका आशीर्वाद सदा बना रहे। साहित्यकाश को साहित्यकुञ्ज का प्रकाशन यूँ हीं सदा प्रकाशित करती रहे। नववर्ष 2024 की बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ सादर
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मधु शर्मा 2024/01/06 08:02 PM
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