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हवाल हवाई का

 

प्रिय पाठक, आप मेरे द्वारा अनूदित इतालवी लोक कथाएँ पिछ्ले अंकों में शायद पढ़ रहे हों। जुलाई के महीने में अमेरिका में रहने वाले अपने पुत्र के सौजन्य से हमें हवाई द्वीप समूह के ‘बिग आईलैंड’ की सैर करने का मौक़ा मिला! हवाई द्वीप समूह संयुक्त राज्य अमेरिका का 50वां राज्य है। यह सन् 1959 ई. में अमेरिका के शासन में सम्मिलित किया गया। आठ छोटे बड़े द्वीपों का यह समूह, धरती के भीतर चलने वाली ज्वालामुखीय गतिविधियों के फल स्वरूप बना है। इन द्वीपों पर मानव के निवास का काल भी हज़ार वर्षों से अधिक पुराना नहीं है। प्रकृति की विविधता और मानव संस्कृति को जानना मेरी रुचि के विषय है। 

हवाई दीप समूह के द्वीपों के नाम ओआहू, माऊई, हवाई (बिग आईलैंड), कोआई, मालोकाई, लानाई, निहायू, और काहुलावे हैं। इनमें से कुछ द्वीप ऐसे हैं जो ज्वालामुखी के लावा से बनने के बाद अब समुद्र से क्षरणशील होकर छोटे हो रहे हैं। बिग आईलैंड ऐसा द्वीप है जो अभी भी बढ़ रहा है क्योंकि वहाँ पर सक्रिय ज्वालामुखी ‘किया’ अभी भी लावा उगलता है। इसी 20जुलाई को वहाँ लावा का छोटा विस्फोट हुआ था। ‘किया’ इस समय दुनिया का सबसे बड़ा, सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है। इस ज्वालामुखी के कुछ निकट ही लोआ नामक ज्वालामुखी का मुहाना है। इन दोनों ज्वालामुखियों की ढलानों से बहकर एकत्रित हुए जल से बीच की घाटी में एक 45 किलोमीटर लंबी नदी बहती है, जिसका नाम ‘वायलुकू’ नदी है। यह वायलुकू नदी अपनी यात्रा में कई सुंदर झरने बनती है। आकाका प्रपात, रेनबो प्रपात इनमें मुख्य और दर्शनीय है। ‘हीलो’ नामक स्थान पर समुद्र में मिलने से पहले इस नदी के आसपास ‘एक राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान’ विकसित किया गया है, जो दर्शनीय है ‌। 

ज्वालामुखी के लावा से बनी, काली, पथरीली, उबड़-खाबड़ शिलाओं से भरे, ढालू मार्ग से गुज़रती हुई यह नदी एक स्थान पर ऐसी शिलाओं के बीच होकर गुज़रती है, जहाँ छोटे कुण्डों में भरा पानी, धारा के वेग के कारण ऐसी हलचल करता है कि लगता है मानो उबल रहा हो। इस पर्यटन स्थल का नाम ही “बॉलिंग वॉटर्स” रख दिया गया है। वाइलुकू नदी के इस स्थान को लेकर वहाँ एक लोक कथा प्रचलित है। इस अंक में मैं आपके लिए हवाई की वही लोक कथा लेकर आई हूँ। पौराणिक लोक कथाओं को हवाई की भाषा में ‘मोओले लो’ कहते हैं। कथा इस प्रकार है:

हवाई की संस्कृति में माउई ऐसा देवता है जो मनुष्य के लिए कल्याणकारी कार्य करता रहता है, उसकी माता हिना और पिता अकानाना हैं। वह पाताल से ‘आग’ लेकर आया! उसने सूर्य की गति को धीमा करके दिन की लम्बाई बढ़ायी। यदि सम्भव हुआ तो ये पौराणिक कथाएँ मैं आपको फिर कभी सुनाऊँगी। आज तो वाइलुकू की कहानी सुनिए:

वाईलुकू नदी के साथ एक बड़ी गुफा में हिना, माची की माँ, अन्य स्त्रियों के साथ रहती थी जहाँ वह पूरे कुनबे के लिए शहतूत की छाल से कपड़ा बनाती थी जिसे ‘कापा’ कहा जाता है। कुना नामका एक दैत्य विशाल छिपकली के रूप में गुफा के पास के जंगल में एक रहता था। माउई से ईर्ष्या के कारण वह हिना को सताता रहता था। कभी वह लकड़ी के कुंदे, कभी पानी की बौछार और कभी पत्थर आदि फेंक कर हिना और दूसरी स्त्रियों को परेशान करता। हिना इन सब की परवाह नहीं करती थी क्योंकि वह बड़ी गुफा में रहती थी और अपने वीरपुत्र माउई से रक्षित थी। 

एक रात बहुत भयंकर तूफ़ान आया। कुना ने हिना को सताने का यह अच्छा मौक़ा पाया। तूफ़ानी रात में जब हिना अपनी गुफा में आराम से सो रही थी तब कुना ने गुफा के आसपास बड़ी-बड़ी शिलाएँ और लकड़ी के बड़े-बड़े कुन्दे रख दिए, जिससे तूफ़ान का और वाइलुकू नदी पानी रुक जाए और हिना उसमें डूब जाए। 

धीरे-धीरे तूफ़ान का पानी गुफा में भरने लगा। इससे हिना की नींद टूटी गयी। इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए उसने अपने बेटे माउई को पुकारा:

 ओ माउई चतुर मछुआरे
 ओ माउई सूरज को हराने वाले
 सुन बेटे, तेरे मइया पुकारे! 

 आ बेटे ज़रा जल्दी आ! 
 अपनी डोंगी तेज़ चला, 
 अपनी जादुई गदा भी ला
 दैत्य कुना को मज़ा चखा! 

माउई ने दूर से आती अपनी माँ की आवाज़ ऐसे सुनी, मानो कोई सपना देख रहा हो। उसने आसमान की ओर देखा, वहाँ उसे हवाई द्वीप के ऊपर मँडराते एक बादल में अपनी माँ का चेहरा दिखाई दिया। वह ‘हालीकाला’ पर्वत की ढलानों से उतर कर समुद्र के किनारे आया, अपनी डोंगी निकाली और ‘हिलो’ के सागर तट पर आ गया, जहाँ वाइलुकू नदी का मुहाना है। यहाँ मोउई ने देखा कि नदी का पानी समुद्र में नहीं आ रहा है, नदी कहीं रुक गई है। वह समझ गया कि किसी ने नदी को बंद दिया है। वह धारा से विपरीत दिशा की ओर दौड़ता चला गया और जहाँ शिलाओं से पानी को रोका गया था, वहाँ अपनी गदा से ज़ोर-ज़ोर से प्रहार कर पत्थरों को तोड़ डाला। नदी फिर से सागर की और बढ़ चली। यह सब देखकर कुना भयभीत हो गया। वह माउई से बचने के लिए नदी के किनारे की गुफाओं में जा छुपा। इस वीर माची ने गुफा के आसपास की चट्टानों को अपनी गदा से पीटना शुरू किया। पृथ्वी काँपने लगी। कुना अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ने लगा। अंत में माउई के क्रोध से बचने के लिए कुना ने नदी की नीचे की ओर जाती धारा में छलाँग लगा दी। 

माउई समझ गया कि अब कुना को गदा से मारना सम्भव न होगा। उसने ज्वालामुखियों की देवी ‘पेले’ से गर्म, तपते हुए पत्थरों को पाने की प्रार्थना की। ‘पेले’ दे ने तुरंत उसे ऐसे पत्थर दे दिए। माउई ने उन गर्म पत्थरों को पानी में डाला तो नदी का पानी उबलने लगा। इस गर्म पानी से घबरा कर छुपा हुआ, छिपकली दैत्य कुना, इधर-उधर भागने लगा। मौक़ा देखकर माउई ने उसे अपनी गदा से मार डाला, और माता हिना को सुरक्षित और ‘वायलुकू’ नदी को स्वतंत्र कर दिया। 

आज भी रेनबो झरने के नीचे की शिला कुना के शव का प्रतीक मानी जाती है और पत्थरों के बीच उछलता पानी, गर्म उबलते पानी का भान कर आता है। 

आज भी हवाई के कुछ मूल निवासी लोग इस स्थान पर माउई और हिना के लिए फूल और नैवेद्य चढ़ाते हैं। 

 तो मित्रों, आज आपने मुझसे हवाई का यह हवाल सुना। 

 आज के लिए विदा। 

हवाल हवाई का

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