माँ की गोद
काव्य साहित्य | कविता मधु शर्मा14 Dec 2014
माँ की गोद,
प्रेम से ओत-प्रोत।
अनवरत ज्ञान का स्रोत
अच्छे-बुरे का कराती बोध।
बच्चे करें कभी विरोध
शांत करती उनका क्रोध।
अफ़सोस ...
अब न मिलेगी माँ की वह गोद,
प्रेम से थी जो ओत-प्रोत।
मगर ...
सूख न जाए कहीं वह ज्ञान का स्रोत,
और वापिस न आ जाए विरोध औ' क्रोध,
सो सदा याद रखूँगी
माँ की वह हँसी और विनोद,
व
माँ की गोद,
प्रेम से थी जो ओत-प्रोत।
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