बसंत बहार
काव्य साहित्य | कविता डॉ. सुशील कुमार शर्मा5 Mar 2016
आज बसंत बहार है।
जीवन का त्यौहार है।
यह त्यौहार है।
त्याग, तप संकल्प का।
अज्ञानता के विकल्प का।
मन की तरंग का।
ज्ञान की उमंग का।
बुद्धि की स्फूर्ति का।
विद्या की पूर्ती का।
प्रेम की झंकार का
प्रकृति के प्यार का।
विद्वानों के सम्मान का।
धनवानों के मान का।
विद्या से पुष्टि का।
अटूट अमित भक्ति का।
वीणा के सम्मोहन का।
अनुरागों के अनुमोदन का।
मिलन का मुक्ति का।
सृजन का सृष्टि का।
जीवन के परिवर्तन का।
मनुष्यता के आवर्धन का।
उमंगों का उल्लासों का।
प्यार के प्रयासों का।
सौंदर्य के सन्दर्भों का।
यक्षों का गंधर्वों का।
फूलों का सुगंधों का
स्नेह के प्रबंधों का।
ख़ुश्बुओं को सँजोने का।
स्वप्न के बिछौनों का।
बेटियों को मनाने का।
बेटों को सिखाने का।
माँ के सुकून का।
पिता के जूनून का।
दुश्मनी से दूरी का।
मित्रता ज़रूरी का।
पशुता से हटने का।
मनुष्यता पर डटने का।
प्यारे संबंधों का।
मन के आबंधों का।
चलो कुछ इस तरह से यह त्यौहार मनाएँ।
जीवन में नए आदर्शों को अपनाएँ।
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