शिक्षक पर दोहे
काव्य साहित्य | दोहे डॉ. सुशील कुमार शर्मा1 Oct 2020
मात पिता ने तन दिया, थे पशु तुल्य समान।
निखरा ये व्यक्तित्व जब, शिक्षक देता ज्ञान।
मिट्टी से सोना करे, शिक्षक का आशीष
शिक्षक के अनुदान से, जीवन पुष्प शिरीष।
शिक्षक नीव समाज की, तन मन देता दान।
शिक्षक की पीड़ा सुनो, ओ समाज के कान।
है निरीह इस तंत्र में, शिक्षक कोल्हू घूर्ण।
चाहे जो भी काम हो, शिक्षक करता पूर्ण।
इस कोरोना काल में, संकट में है देश।
दोहरी सेवा दे रहा, शिक्षा का परिवेश।
रात में सेवा दे रहा, दिन अध्यापन काम।
जान की बाज़ी खेलकर, शिक्षक है बेनाम।
प्रलय सृजन दोनों रखे, शिक्षक अपने हाथ।
शिक्षक देश भविष्य का, इसे नवाओ माथ।
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