गर्मी की छुट्टी
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. सुशील कुमार शर्मा1 May 2019
मम्मी कच्ची केरी लाओ
उसकी चटनी आप बनाओ।
लाल कलंदर है खरबूज।
मीठा लगता है तरबूज।
आइसक्रीम मँगवाओ मम्मी।
लगती कितनी यम्मी यम्मी।
गर्मी के दिन कितने अच्छे।
नदी नहाएँ पहन के कच्छे।
रंग बिरंगे पहने कपड़े।
दूर पढ़ाई के सब लफड़े।
मम्मी पापा खूब घुमाएँ।
छुट्टी में सबके घर जाएँ।
झूला मेला और चिड़िया घर।
बर्फ़ का गोला खाते मुँह भर।
गर्मी के दिन बहुत सुहाने।
हम बच्चों को लगे लुभाने।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
सामाजिक आलेख
- करवा चौथ बनाम सुखी गृहस्थी
- गाँधी के सपनों से कितना दूर कितना पास भारत
- गौरैया तुम लौट आओ
- नब्बे प्रतिशत बनाम पचास प्रतिशत
- नव वर्ष की चुनौतियाँ एवम् साहित्य के दायित्व
- पर्यावरणीय चिंतन
- भारतीय जीवन मूल्य
- माँ नर्मदा की करुण पुकार
- वेदों में नारी की भूमिका
- वेलेंटाइन-डे और भारतीय संदर्भ
- व्यक्तित्व व आत्मविश्वास
- संकट की घड़ी में हमारे कर्तव्य
- हैलो मैं कोरोना बोल रहा हूँ
लघुकथा
बाल साहित्य कविता
कविता
गीत-नवगीत
दोहे
कविता-मुक्तक
कविता - हाइकु
व्यक्ति चित्र
साहित्यिक आलेख
सिनेमा और साहित्य
कहानी
किशोर साहित्य नाटक
किशोर साहित्य कविता
ग़ज़ल
ललित निबन्ध
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}